जाने क्यूं ❓

जाने क्यूं , अब सब मुझसे दूर जा रहे हैं....
जाने क्यूं ,मुझे सब इस कदर सता रहे हैं....
ना जाने हमने कौनसी ऐसी खता कर दी...
कि लोग हमें देखते ही हमसे आंखे चुरा रहें हैं।
जाने क्यूं ,अनजान–सी लगने लगी है ये दुनिया,
हम भी अपने आप में खोते ही जा रहें हैं....
जाने क्यूं , हम खुद को समझने की कोशिश नहीं करते,
बेवजह ;बस दूसरों को समझाते ही जा रहें हैं ।
जो कभी वादा करते थे, हमेशा साथ रहने का,
दिन -पे- दिन फासला बढ़ाते ही जा रहें हैं...
एक वक़्त था, जब हम उन्हें बेवजह कुछ भी बोल देते थे,
जाने क्यूं , आज बात करने में भी हिचकिचाते ही जा रहें हैं।
हमें तो आदत है, बचपन से अकेले रहने की...
इसलिए, तन्हाइयों को गले लगाते ही जा रहें हैं..
कहते हैं दोस्तों के बिना ज़िन्दगी नर्क हो जाती है,
हम वहीं अपना आशियाना बनाते ही जा रहें हैं।
सुना है स्वार्थ छुपा होता है,हर रिश्ते के साये में,
हम भी खुद को उससे वाकिफ कराते ही जा रहें हैं।
गलतियां मैंने भी की है,लोगों को पहचानने में...
इसलिए, आज इतना पछताते ही जा रहें हैं...
अब ज़िन्दगी दी है रब ने ,तो जी लूं ख़ुशी से,
सुख दुःख का क्या है, वो तो आते ही जा रहें हैं।
जाने क्यूं , अब इस जहां से दूर जाने को दिल करता है,
पर खुद को खुद के करीब लाते ही जा रहें हैं।
जो भूल गए हमें ,उनसे शिकायत नहीं है ऐ- खुदा,
आखिर हम भी तो उन्हें ,बस भुलाते ही जा रहें हैं।
दोस्तों के बिना ज़िन्दगी ,ज़िन्दगी नहीं होती...
इस झूठ से हम पर्दा, उठाते  ही जा रहें हैं...
खुद को जानने की कोशिश करते हैं ,अब तो...
शायद इसीलिए,लोग हमें ठुकराते ही जा रहें हैं।
कमियां बहुत हैं मुझमें,जिससे अनजान हूं मैं...
पर माफ करना मेरे खुदा,अभी नादान हूं मैं....💞

  Written by :-
Shanti

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