❣️ मैं ❣️

 

अपनी ज़िन्दगी के लम्हों💫 से जो छेड़छाड़ किया है ,

              उसका अंज़ाम आज भी भुगत🤲 रही हुं मैं ।

लोगों को मेरी बाहरी शीतलता नज़र 👤आती है ,

                     पर अंदर ही अंदर सुलग🔥 रही हूं मैं।

दुनिया में बहुत से लोग होते हैं , एक जैसे 👥......,

                     पर सबसे, थोड़ा अलग ❣️रही हूं मैं।

पल भर में ये वक़्त , कहां से कहां चला जाता है🤷 ,

                 इसलिए थोड़ा- थोड़ा बदल 👐रही हूं मैं।

हां ! होड़ है मुझे खुद से जीतने की 🤟.....….........,

             इसलिए खुद से थोड़ा जल🌡️ रही हूं मैं ।

मुस्कुराहट का एक पल भी , जाया नहीं करती ,🙂

                थोड़ा ही सही , पर संभल 🎀रही हूं मैं ।

ठोकरों में , बहुत कड़वाहट भरी होती है 🎃........,

          पर इसे भी ख़ुशी- ख़ुशी निगल🌺 रही हूं मैं ।

मंजिले 🌀बहुत दूर हैं, और आसान रास्ते भी नहीं ,🌪️

           धीरे - धीरे ही सही पर चल 👣रही हूं मैं।

ढेर निराशाओं का है,तो डोर उम्मीदें की भी कहां कम हैं,

                    💫 इसी डोर के सहारे निकल रही हूं मैं ।

हां ! हैं सपने मेरे भी , कुछ ख्वाहिशें भी हैं🎀 ..........,

                 उन्हें पाने की अग्न में पिघल💌 रही हूं मैं ।

                      ❣️*** Sháñtí****❣️




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