मै और मेरा वजूद।

आजकल,मेरी ज़िन्दगी इस कदर बदल गई है,
ना दोस्त हैं ,ना दुश्मन सबसे अलग हुई है ,
खुद से टकराना है, शिखर तक जाना है,
बस धरती ही नही, आसमां को झुकाना है।
अपने हौंसलो को, दुनिया को दिखाना है,
वक़्त के साथ ही ,बस चलते ही जाना है,
है नहीं संग कोई,पर हमें गम नहीं.....
खुद को इस कदर , मजबूत बनाना है।
अकेले ही इस दुनिया से लड़के दिखाना है,
क्या है वजूद मेरा, ये मुझको ही पता है....2
मेहनत से ओ खुदाया, मुझे सबको दिखाना है..।
छोड़ दी दुनियादारी ,अब खुद के हम करीब हैं,
मां- बाप के अलावा , ना किसी पे अब यकीं है,
उनके सीने को, अब गर्व से भरना है........
सब की तरह नहीं , कुछ अलग तो करना है।
खुदा का आस है , खुद पे विश्वास है.......
अकेले चलने की , अब दिल में प्यास है,
ना किसी से आशा है, ना कोई निराशा है ,
खुद पर कर यकीं , खुद को ही तलाशा है।
अब खुद को नहीं खोना है , दुनिया से दूर होना है,
मंज़िल को पाना है ,राह भी खुद बनाना है,
तो डरना किस बात से,ज़ी लूं ज़िन्दगी शुरुआत से,
किसी और के कहने पर,ना खुद को झुकाना है,
क्या है वजूद मेरा, ये मुझको ही पता है......
मेहनत से ओ खुदाया , मुझे सबको दिखाना है।




   I hope you can relate yourself with my words,feel the deep meaning of every sentence.
Thank you!

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