💔बेरहम ज़िन्दगी💔
ये ज़िन्दगी सच में कितनी बेरहम है ......... कोई इसकी मुश्किलों से परेशान है,तो कोई थक गया है , कोई राहें चल रहा है , तो कोई भटक गया है...... कुछ पाने की चाह में,किसी ने सबकुछ खो दिया है, किसी ने सबकुछ पाकर भी , अकेले में रो दिया है , ये खुशियां भी देती है , तो दुखों का सागर कहां कम है, ये ज़िंदगी सच में कितनी बेरहम है........ पहले हंसाती है , तो फिर रुलाने में भी माहिर है, दूसरों की क्या कहें, ये तो हमारी ज़िन्दगी में भी ज़ाहिर है .... कि पल भर में ये ज़ज्बात बदल देती है , सामने खड़ी खुशी को , एक पल में निगल लेती है , खुशियों को जीने के लिए, एक सेकंड भी कितना अहम है ............. ये ज़िन्दगी सच में कितनी बेरहम है .......... ये सांसे कब रुक जाएं , ये कौन जानता है , यहां अपनों को भी अपना , कौन मानता है, ये ज़िन्दगी .... , ज़िन्दगी जीना तो सिखाती है , कौन अपना ,तो कौन पराया है , ये भी बताती है , इसे सुहाना सफ़र सोचना , बस एक वहम है, ये ज़िन्दगी सच में कितनी बेरहम है...........💔 __________***_________ ...